जब से नरेंद्र मोदी देश के PM बने है तब से कांग्रेस की सरकारों द्वारा किये काले कारनामे सामने आते ही रहते है। चाहे देश की सुरक्षा का मामला हो या देश से अलग अलग क्षेत्र के नेताओ को आगे बढ़ा के उस क्षेत्र को महत्व देने का मामला हो कांग्रेस कही न कही सिर्फ अपने गांधी व नेहरू परिवार को ही आगे बढ़ाती रही है। लेकिन भला हो इस देश की घोर लोकतांत्रिक समर्थक जनता का जो उन्होंने एक गरीब माँ के बेटे नरेंद्र मोदी को देश की कमान सौपी। जब से मोदी जी PM बने है देश का नाम बड़ा ही हुआ है। जिस जम्मू कश्मीर के मुद्दे को कांग्रेस चुना भी नही चाहती थी। उसे नरेंद्र मोदी सरकार ने एक झटके में हटा दिया। इससे भी अच्छी बात ये की हमारे देश के एक राज्य अरुणाचल प्रदेश से पहला केंद्रीय कैबिनेट मंत्री मोदी जी ने ही बनाया है।
क्या है पूरा मामला?
जैसा की हम सबको पता है की अक्सर खबरों में आता रहता है की अरुणाचल प्रदेश के फलाने गाँव में चीन कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में अरुणाचल प्रदेश को जरूरत थी एक ऐसे नेता की जिसकी आवाज केंद्र के नेता तक पहुच सके। लेकिन 70 सालो के इतिहास में कभी कोई केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अरुणाचल प्रदेश से नही था। मोदी जी ने इसकी जरूरत को समझते हुए 7 जुलाई 2021 को अरुणाचल प्रदेश से आने वाले किरण रिजिजू को कानून मंत्री बनाया है। किरण से पहले रवि शंकर प्रसाद कानून मंत्री थे।
किरण रिजिजू इसके पहले कौन से मंत्री थे?
किरण रिजिजू का राजनैतिक करियर 2004 से शुरू हुआ जब वो अरुणाचल वेस्ट से सांसद बने। 2014 में फिर सांसद बने। इस बार उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया और मंत्रालय मिला Minority Affairs का। 2019 में फिर मोदी जी जीत के आये इन्हें फिर से राज्य मंत्री बनाया गया। मंत्रालय मिला खेल का। इस पद पर वो 7 जुलाई 2021 तक रहे और अब वो अरुणाचल प्रदेश से आने वाले पहले कैबिनेट मिनिस्टर बने है। मंत्रालय भी कोई ऐसा वैसा नही मिला है। कानून मंत्रालय दिया गया है।
इससे मोदी जी चीन को क्या संदेश देना चाहते है?
मोदी जी का संदेश साफ व स्प्ष्ट है। अरुणाचल प्रदेश से देश का कानून मंत्री बना कर मोदी जी ने साफ कर दिया की अरुणाचल भी देश के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में एक है। किसी भी देश की बुरी नजर अगर इस राज्य पर पड़ी तो उसे महंगा पड़ सकता है।
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