2017 से यूपी विधानसभा चुनावो में बड़ी हार के बाद उत्त्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व समाजवादी नेता अखिलेश यादव ने पार्टी की रणनीतियों में काफी बदलाव किये है क्योंकि देखने में साफ पता चलता है की जो समाजवादी पार्टी 2017 का चुनाव समाजवाद के नाम पे लड़ी थी अब उसका ध्यान भगवान श्री कृष्ण को पार्टी की रणनीति में शामिल किया है। विशेषज्ञों का मानना है की अखिलेश यादव ने ये रणनीति भाजपा की राम के नाम वाली राजनीति के काट के रूप में पेश किया है। जहाँ पहले समाजवादी के बैनरो में लोहिया और मुलायम सिंह की फ़ोटो होती उसके मुकाबले अब के बैनरो में श्री कृष्ण को जगह भी दे दी गयी है।
इसपे जनता का क्या रिएक्शन है?
जनता का कहना है की समाजवादी पार्टी खुद BJP से ज्यादा हिन्दू साबित करने की नाकाम कोशिश कर रही है। जनता ये भी कहती है की ये वही अखिलेश यादव है जो कहते थे की BJP देवताओ के नाम पे वोट मांग कर गलत करती है और अब खुद अखिलेश यादव के पार्टी के नेता और कार्यकर्ता खुद ही श्री कृष्ण को बीच में ला रहे है तो क्या इससे ये समझा जाए की अब समाजवादी पार्टी भी खुद को हिन्दु साबित करना चाहती है या श्री कृष्ण के नाम पे हिन्दू वोट पाने की इच्छा रखती है।
इस समय ये बात मुद्दा क्यो बनी है?
कल यानी एक जुलाई 2021 को अखिलेश यादव जी का जन्मदिन था तो इस मौके पे उन्हें देश विदेश की बड़ी बड़ी हस्तियों ने बधाईया भी दी इसी बीच एक बड़ी ख़ास बधाई आई राजनीति की दुनिया में उनके धुर विरोधी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी महाराज की।
बधाई में लिखा था "उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी को जन्मदिवस की हार्दिक बधाई। प्रभु श्री राम से आपके उत्तम स्वास्थ्य एवं सुदीर्घ जीवन की कामना करता हूं।"
इसी पोस्ट पर यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी ने रिप्लाई किया "शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद। प्रभु श्री राम की अनुकंपा हम सब पर बनी रहे और सभी की मनोकामना पूर्ण हो"।
अब कोई आम इंसान इसे देखेगा तो यही सोचेंगा की ये दो राजनेताओ के बीच आम रूप से बधाइयां और धन्यवाद का खेल चल रहा है। लेकिन अगर इसे कोई ऐसा व्यक्ति देखगा तो साफ साफ कह देगा की अखिलेश यादव इस कमेंट से ये दिखाना चाह रहे है की उनकी भी श्री राम में है।
इतना ही नही अखिलेश यादव को बधाई देने कुछ साधु संत भी आये थे और उनके हाथ में प्रभु श्री राम की मूर्ति थी जोकि को साधु लोग अखिलेश यादव को जन्मदिन के तोहफे के रूप में देना चाहते थे। और अखिलेश यादव ने उस मूर्ति रूपी तोहफे को स्वीकार भी ऐसे किया जैसे प्रभु श्री राम के सबसे बड़े भक्त वही हो।
खैर अखिलेश यादव के इस जन्मदिन पे हुई घटनाओ से ये तो क्लियर हो गया है की आने वाला 2022 का विधानसभा चुनाव राम के नाम पे ही लड़ा जाएगा।
देखने वाली बात ये भी प्रभु श्री राम का नाम किस पार्टी के काम आने वाला है, जिस पार्टी के लोगो ने उनका मंदिर बनवाया या जिस पार्टी के लोगो ने उनके भक्तो पे गोली चलवाई।
निःसंदेह अगला यूपी चुनाव रोमांचक होगा।
फिलहाल आप क्या सोचते है नीचे कमेंट करके जरूर बताये।